Sunday, 29 September 2013
प्रभु दे मारक शक्ति,, नारि क्यूँ सदा कराहे -
हे अबलाबल भगवती, त्रसित नारि-संसार।
सृजन संग संहार बल, देकर कर उपकार।
देकर कर उपकार, निरंकुश दुष्ट हो रहे ।
करते अत्याचार, नोच लें श्वान बौरहे।
समझ भोग की वस्तु, लूट लें घर चौराहे ।
प्रभु दे मारक शक्ति, नारि क्यूँ सदा कराहे ॥
1 comment:
Laxman Bishnoi Lakshya
30 September 2013 at 23:45
उत्तम रचना
बचपन
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उत्तम रचना
ReplyDeleteबचपन