Wednesday, 18 September 2013
रविकर रोटी सेंक, बोलता जिन्दा रह मत
रहमत लाशों
पर नहीं,
रहम तलाशो
व्यर्थ |
अग्गी करने से बचो, अग्गी करे अनर्थ |
अग्गी करे अनर्थ, अगाड़ी जलती तीली |
जीवन-गाड़ी ख़ाक, आग फिर लाखों लीली |
करता गलती एक, उठाये कुनबा जहमत |
रविकर रोटी सेंक, बोलता जिन्दा
रह मत
||
3 comments:
SM
19 September 2013 at 12:13
बहुत बढ़िया
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KUMMAR GAURAV AJIITENDU
19 September 2013 at 22:21
बहुत सुंदर आदरणीय रविकर सर।
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KUMMAR GAURAV AJIITENDU
19 September 2013 at 22:25
बहुत सुंदर आदरणीय रविकर सर।
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बहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत सुंदर आदरणीय रविकर सर।
ReplyDeleteबहुत सुंदर आदरणीय रविकर सर।
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