Saturday, 28 September 2013

समझ भोग की वस्तु, लूट लें घर चौराहे -

हे अबलाबल भगवती, त्रसित नारि-संसार। 

सृजन संग संहार बल, देकर कर उपकार।

देकर कर उपकार, निरंकुश दुष्ट हो रहे । 

करते अत्याचार, नोच लें श्वान बौरहे।

समझ भोग की वस्तु, लूट लें घर चौराहे । 

प्रभु दे मारक शक्ति, नारि क्यूँ सदा कराहे ॥

5 comments:

  1. बहुत सुन्दर कुंडली , प्रभु दें मारक शक्ति नारी क्यूँ सदा कराहे ..

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  2. बहुत मार्मिक !

    शुक्रिया आपकी अद्यतन रचनाओं का जो सर्वथा प्रासंगिक बनी रहतीं हैं .

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  3. अतिसुन्दर भाव और उत्साह और प्रेरण लिए है यह रचना .

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