Sunday, 1 September 2013

रविकर मद में चूर, चाल चल जाय बला की

गलती का पुतला मनुज, दनुज सरिस नहिं क्रूर |
मापदण्ड दुहरे मगर, व्यवहारिक भरपूर |

व्यवहारिक भरपूर, मुखौटे पर चालाकी |
रविकर मद में चूर, चाल चल जाय बला की |

करे स्वार्थ सब सिद्ध, उमरिया जस तस ढलती |
करता अब फ़रियाद, दाल लेकिन नहिं गलती ||

4 comments:

  1. इस मनर में अक्सर डाल गलने में देर ही लगती है ...
    बहुत खूब ...

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  2. बहुत सुन्दर.... खूब....

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