Sunday 1 September 2013

आया कामुक गिद्ध, सँभालो इसे सलाखों-

लाखों अंधे भक्त-गण, करते प्रबल विरोध |
छुपता फिरता साधु-शठ, लख जन गण मन क्रोध |

लख जन गण मन क्रोध, नहीं बचने की आशा |
बना शिकार अबोध, प्रवंचक किया तमाशा |

देखे दुर्गति दुष्ट, आज से अपनी आँखों |
आया कामुक गिद्ध, सँभालो इसे सलाखों-

पाता पोती दुष्ट, और अज'माता ओरल-

रल-मिल दुर्जन लूटते, गैंग रेप कहलाय । 
हत्या कर के भी यहाँ, नाबालिग बच जाय । 

नाबालिग बच जाय, प्रवंचक साधु कहानी । 
नहीं करे वह रेप, मुखर-मुख की क्या सानी । 

छल बल *आशर बाढ़, मची काया में हलचल । 
पाता पोती दुष्ट, और अज'माता ओरल ॥ 
*राक्षस 


खड़ी निकाले खीस, रेप वह भी तो झेले-


टला फैसला दस दफा, लगी दफाएँ बीस |
अंध-न्याय की देवि ही, खड़ी निकाले खीस |

खड़ी निकाले खीस, रेप वह भी तो झेले |
न्याय मरे प्रत्यक्ष, कोर्ट के सहे झमेले |

नाबालिग को छूट, बढ़ाए विकट हौसला |
और बढ़ेंगे रेप, अगर यूँ टला फैसला ||

6 comments:

  1. आप्को पढ़ना सदैव सुखद रहता है।

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    1. आप अभी तक हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {साप्ताहिक चर्चामंच} की चर्चा हम-भी-जिद-के-पक्के-है -- हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल चर्चा : अंक-002 मे शामिल नही हुए क्या.... कृपया पधारें, हम आपका सह्य दिल से स्वागत करता है। आपके विचार मेरे लिए "अमोल" होंगें | आगर आपको चर्चा पसंद आये तो इस साइट में शामिल हों कर आपना योगदान देना ना भूलें। सादर ....ललित चाहार

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  2. बोल श्री निराशा राम की जय .

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  3. फेस बुक शोभित हो रही पढ़ पढ़ कुंडली आप ,

    क्यों नहीं दे देते प्रभु निराशा राम को शाप .

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  4. बहुत खूब !
    बधाई स्वीकार करें !

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  5. सार्थक कुंडलियाँ .... कम से कम अब तो लोगों की आँखें खुलें ऐसे साधुओं पर ... नाबालिग के कुकृत्यों पर भी कानून बदलना चाहिए ।

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