Monday, 9 September 2013

रचना उसे नकार, बघारे हर पल शेखी-

निर्माता के प्रति दिखे, अब निर्मम व्यवहार |
हृष्ट-पुष्ट होकर बढ़े, रचना उसे नकार |

रचना उसे नकार, बघारे हर पल शेखी |
पाय ममत्व-दुलार, करे उसकी अनदेखी |

मद में मानव चूर, आपदा पर हकलाता |
हो जाता मजबूर, याद आये निर्माता ||

3 comments:


  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    latest post: यादें

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  2. क्या खूब ……सुन्दर

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  3. मद में मानव चूर, आपदा पर हकलाता |
    हो जाता मजबूर, याद आये निर्माता ||
    प्रिय ..रविकर जी खूबसूरत ..काश ये सीख दिमाग में घुसे सबके तो आनंद और आये
    भ्रमर ५

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