Friday, 31 August 2012

बेटे को पढ़ने दो -

* घट रही है रोटियां घटती रहें---गेहूं  को सड़ने  दो |
* बँट रही हैं बोटियाँ बटती रहें--लोभी को लड़ने  दो |


* गल  रही हैं चोटियाँ गलती रहें---आरोही चढ़ने दो | 
* मिट  रही हैं बेटियां मिटती रहे---बेटे को पढ़ने दो |

* घुट रही है बच्चियां घुटती रहें-- बर्तन को मलने दो ||

* लग रही हैं बंदिशें लगती रहें--- दौलत को बढ़ने दो |
 
* पिट रही हैं गोटियाँ पिटती रहें---रानी को चलने दो | 
* मिट रही हैं हसरतें मिटती रहें--जीवन को मरने दो ||

2 comments:

  1. * दे रहा है टिप्पणियाँ देता रहें---रविकर को टिपियाने दो|

    ReplyDelete
  2. बड़े पोटेंट कैप्स्युल्स हैं ये भाई साहब साहित्यिक नुस्खे .....* मिट रही हैं बेटियां मिटती रहे---बेटे को पढ़ने दो |

    ReplyDelete