जीवमातृका वन्दना, माता के सम पाल |
करे जीवमंदिर सुगढ़, पोसे सदा संभाल ||
शिव और जीवमातृका
धनदा नन्दा मंगला, मातु कुमारी रूप |
बिमला पद्मा वला सी, महिमा अमिट-अनूप ||
भ्रूण-हत्या
कोई तो रक्षा करो, माताओं से एक |
भ्रूणध्नी माता-पिता, देते मुझको फेंक ||
भ्रूण-हत्या
कुन्ती तारा द्रौपदी, लेशमात्र न रंच |
आहिल्या-मन्दोदरी , मिटती कन्या-पन्च |
पन्च-कन्या
सातों माता भी नहीं, बचा सकी गर पाँच |
रविकर महिमा पर पड़े, दैया दुर्धर्ष आँच |
ReplyDeleteसातों माता भी नहीं, बचा सकी गर पाँच |
रविकर महिमा पर पड़े, दैया दुर्धर्ष आँच |
एक सामाजिक शूल बन चुकी समस्या पर त्रिशूल चलाया है आपने अब तो शिव को ही अपना तीसरा नेत्र खोल चंडी बनना होगा ,मूढ़धन्य भ्रूण -लख -पतियों को ठिकाने लगाना होगा .कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
बुधवार, 22 अगस्त 2012
रीढ़ वाला आदमी कहलाइए बिना रीढ़ का नेशनल रोबोट नहीं .
What Puts The Ache In Headache?
सामाजिक वैषम्य- रोज़ रचती है, ये कुरीत ,
ReplyDelete.कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
बुधवार, 22 अगस्त 2012
रीढ़ वाला आदमी कहलाइए बिना रीढ़ का नेशनल रोबोट नहीं .
What Puts The Ache In Headache?
समाज के ऊपर कलंक ही तो है | हमें आगे आना होगा |
ReplyDeleteकोई तो रक्षा करो, माताओं से एक |
ReplyDeleteभ्रूणध्नी माता-पिता, देते मुझको फेंक ..
दर्द को दोहों में उतारा है ... ये कलंक कब मिटेगा ...
इतनी सारी देवियों को मानते हुये भी कन्या की यह दुर्दशा .... अफसोसजनक
ReplyDelete