(1)
जंगल में जनतंत्र हो, जमा जानवर ढेर |
करे खिलाफत कोसते, हाय हाय रे शेर |
हाय हाय रे शेर, कान पर जूं न रेंगा |
हरदिन शाम सवेर, लगे आजादी देगा |
छोडो भाषण मीठ, करो मिल दंगा - दंगल |
शासक लुच्चा ढीठ, बचाओ रविकर जंगल ||
कैसे हुई हलाक, इरादे बेहद कातिल |
कर बदतर हालात, मरोगे खुद ही जाहिल |
रविकर का अंदाज, नहीं तुझको अंदाजा |
निकले न आवाज, बन्द हो गर दरवाजा ||
जंगल में जनतंत्र हो, जमा जानवर ढेर |
करे खिलाफत कोसते, हाय हाय रे शेर |
हाय हाय रे शेर, कान पर जूं न रेंगा |
हरदिन शाम सवेर, लगे आजादी देगा |
छोडो भाषण मीठ, करो मिल दंगा - दंगल |
शासक लुच्चा ढीठ, बचाओ रविकर जंगल ||
(2)
आज हैदराबाद में, फहरा झंडा पाक |
इससे पहले मुंबई, कैसे हुई हलाक |
इससे पहले मुंबई, कैसे हुई हलाक |
कैसे हुई हलाक, इरादे बेहद कातिल |
कर बदतर हालात, मरोगे खुद ही जाहिल |
रविकर का अंदाज, नहीं तुझको अंदाजा |
निकले न आवाज, बन्द हो गर दरवाजा ||
बहुत सुन्दर सन्देश...स्वतन्त्रतादिवस की पूर्व संध्या पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteछोडो भाषण मीठ, करो मिल दंगा - दंगल |
ReplyDeleteशासक लुच्चा ढीठ, बचाओ रविकर जंगल ||
मौन सिंह हैं "मौन ",करो जंगल में मंगल,
कहाँ गई सब "आब ",सूख गया भाखड़ा नंगल .
हाय हाय रे शेर, कान पर जूं न रेंगा |
ReplyDeleteहरदिन शाम सवेर, लगे आजादी देगा |
शेर की हाय हाय कर रहा है
क्या गजब कर रहा है
इसे पता नहीं क्या हो गया है
बिल्कुल भी नहीं डर रहा है !