Wednesday, 17 October 2012

स्तन-पान संतान, करे जो तेरा बहना -



सदा जय माँ जी कहिये
हिम्मत से रहिये डटे, घटे नहीं उत्साह |
कोशिश चढ़ने की सतत, चाहे दुर्गम राह |
चाहे दुर्गम राह, चाह से मिले सफलता |
करो नहीं परवाह,  दिया तूफां में जलता |
चढ़ते रहो पहाड़, सदा जय माँ जी कहिये |
दीजै झंडे गाड़, डटे हिम्मत से रहिये ||

अतिथि-यज्ञ से दग्ध मन
सोफा पे पहुना पड़ा, बड़ा लवासी ढीठ ।
अतिथि-यज्ञ से दग्ध मन, पर बोलूं अति मीठ ।

पर बोलूं अति मीठ, पीठ न उसे दिखाऊं ।

रोटी शरबत माछ, बड़े पकवान खिलाऊं ।
रगड़ा चन्दन मुफ्त, चुने खुद से ही तोफा  । 
 गया हिला घर बजट, तोड़ के मेरा सोफा ।

 शिशू निरोगी होय
 
  पसरे सौष्ठव चेतना, अधिक देह पर ध्यान ।
अमृत से महरूम है, वह नन्हीं सी जान । 
वह नन्हीं सी जान, मान ले मेरा कहना ।
स्तन-पान संतान, करे जो तेरा बहना ।
शिशू निरोगी होय, घटे कैंसर के खतरे ।
 बाढ़े  शाश्वत प्रेम, नहीं बीमारी पसरे ।|

प्रीत की कविता
गैला पर जब तक चले, पहिया ऐ मनमीत ।
गाडी फंसने से बचे, मिले अंत में जीत । 

मिले अंत में जीत, प्रीत की कविता गाओ ।

घूंसों से भयभीत, हुवे क्यूँ मीत बताओ ।
करता प्रभु से विनय, होय निर्मल जो मैला ।
गाडी चलती जाय. मिलेगा उनका गैला ।।

अवनति का इतिहास
 सामाजिक उत्थान का, रामायण दृष्टांत ।
श्रवण करे श्रृद्धा सहित, मन हो जावे शांत ।
मन हो जावे शांत , सदा सन्मार्ग दिखाता ।
अवनति का इतिहास, महाभारत है गाता ।
रविकर दे आभार, विषय बढ़िया प्रतिपादित ।
ढोंगी बाबा काज , करे सब गैर-समाजिक ।।

3 comments:

  1. बहुत सटीक और सुन्दर...

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  2. कुंडलियां नित नये विषय पर
    लिख्खें और लुभायें रविकर ।

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