सुख-शैया भाए कहाँ, विकट प्रेम जंजाल |
चलिए उत्तर खोजिये, सम्मुख कठिन सवाल | सम्मुख कठिन सवाल, भ्रूण में मरती बाला | बिगड़ रहे सुरताल, समय करता मुंह काला | करना ठीक समाज, पिता बाबा पति भैया |
रविकर नारी आज, पुन: छोड़ी सुख-शैया | ।
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जाते तन-कर खोखला, मन को खला विशेष ।
आभा-मंडल ले बना, धर बहुरुपिया वेश ।
धर बहुरुपिया वेश, गगरिया छलकत जाए ।
बण्डल-बाज भदेस, शान-शौकत दिखलाए ।
रविकर सज्जन वृन्द, कर्मरत हो मुस्काते ।
उपलब्धियां अनेक, किन्तु न छलकत जाते ।।
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मुँह देखे की दोस्ती , अक्सर जाए छूट |
मुँह-फट मुख-शठ की भला, कैसे रहे अटूट | कैसे रहे अटूट, द्वेष स्वारथ छल शंका | डालें झटपट फूट, बजाएं खुद का डंका | दोस्त नियामत एक, होय ईश्वर के लेखे | मिले जगत पर आय, खुशी होती मुंह देखे || |
जगत मस्त है कोकिला, बही सरस स्वर-धार |
साधुवाद हे सुहृद-जन, बार-बार आभार | बार-बार आभार, चाँद धरती पर आया | टूटे बंधन-रीत, प्यार से मीत मिलाया | रविकर था चैतन्य, गीत में हुआ व्यस्त है | कोटि कोटि परनाम, आज यह जगत मस्त है | |
सट्टा शेयर जुआं से, रह सकते हम दूर |
जीवन के कुछ दांव पर, कर देते मजबूर | कर देते मजबूर, खेलना ही पड़ता है | पौ बारह या हार, झेलना ही पड़ता है | पड़ता उलटा दांव, शाख पर लागे बट्टा | बने सिकंदर जीत, खेल के जीवन सट्टा || |
विजय दशमी की शुभ कामनाएं , सुन्दर सृजन को बधाईयाँ जी l
ReplyDeleteसभी कुण्डलिया बहुत बढ़िया हैं!
ReplyDeleteஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
♥(¯*•๑۩۞۩~*~विजयदशमी (दशहरा) की हार्दिक शुभकामनाएँ!~*~۩۞۩๑•*¯)♥
ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
विजयादशमी की शुभकामनाऎं !
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteमुँह देखे की दोस्ती , अक्सर जाए छूट |
मुँह-फट मुख-शठ की भला, कैसे रहे अटूट |
कैसे रहे अटूट, द्वेष स्वारथ छल शंका |
डालें झटपट फूट, बजाएं खुद का डंका |
दोस्त नियामत एक, होय ईश्वर के लेखे |
मिले जगत पर आय, खुशी होती मुंह देखे ||
नीति और बोध कथा सी सीख देती कुंडली .