चली माइके
छुट्टी का हक़ है सखी, चौबिस घंटा काम | सास ससुर सुत सुता पति, सेवा में हो शाम | सेवा में हो शाम, नहीं सी. एल. नहिं इ. एल. | जब केवल सिक लीव, जाय ना जीवन जीयल |
रविकर मइके जाय, पिए जो माँ की घुट्टी |
ढूँढे निज अस्तित्व, बिता के दस दिन छुट्टी || |
गम
मनभावन यह सीनरी, देख सीन री देख | नख शिख तक सज्जा किये, प्रेम मयी आलेख | प्रेम मयी आलेख, बुलाया भी प्रेयसी को | लेकिन तूफाँ-शेख, रिझाए वह बहशी को |
पेट्रो-डालर थाम, छोड़ कर प्यारा सावन |
चुका प्रेम का दाम, गई दे गम-मनभावन || |
भरोसा
चप्पल आके ढूँढ़ता, होती मठ में देर | भूला भटका शाम का, आये तनिक सवेर | आये तनिक सवेर, घोर चिंता चप्पल की | होय सर्जरी हर्ट, हास्य की देकर झलकी |
जाए अन्दर जूझ, गया "दर्शन" समझा के |
है पूरा विश्वास, पहनना चप्पल आके || |
आलता
लगा आलता पैर में, बना महावर लाख | मार आलथी पालथी, सेंके आशिक आँख | सेंके आशिक आँख, पाख पूरा यह बीता | शादी की यह भीड़, पाय ना सका सुबीता | बिगड़े हैं हालात, प्रिये पद-चाप सालता | आओ फिर चुपचाप, तनिक दूँ लगा आलता || |
आलता
ReplyDeleteलगा आलता पैर में, बना महावर लाख |
मार आलथी पालथी, सेंके आशिक आँख |
सेंके आशिक आँख, पाख पूरा यह बीता |
शादी की यह भीड़, पाय ना सका सुबीता |
बिगड़े हैं हालात, प्रिये पद-चाप सालता |
आओ फिर चुपचाप, तनिक दूँ लगा आलता ||
क्या बात है दोस्त ,लक्षणा का ज़वाब नहीं .बढ़िया आलता लगाने की कोशिश है .पेशकश है .
सुंदर रचनाएं ..
ReplyDeleteसच्चाई पर करारी चोट | बहुत सुन्दर
ReplyDeletebahut sundar kavitayein.
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