Monday, 29 October 2012

आओ फिर चुपचाप, तनिक दूँ लगा आलता -



चली माइके 
छुट्टी का हक़ है सखी, चौबिस घंटा काम |
  सास ससुर सुत सुता पति, सेवा में हो शाम |
सेवा में हो शाम, नहीं सी. एल. नहिं इ. एल. |
जब केवल सिक लीव,  जाय ना जीवन जीयल |
रविकर मइके जाय, पिए जो माँ की घुट्टी |
  ढूँढे निज अस्तित्व, बिता के दस दिन छुट्टी ||



गम 
मनभावन यह सीनरी,  देख सीन री  देख |
नख शिख तक सज्जा किये, प्रेम मयी आलेख |
प्रेम मयी आलेख, बुलाया भी प्रेयसी को |
लेकिन तूफाँ-शेख, रिझाए वह बहशी को |
पेट्रो-डालर थाम, छोड़ कर प्यारा सावन |
चुका प्रेम का दाम, गई दे गम-मनभावन ||


 भरोसा 
 चप्पल आके ढूँढ़ता, होती मठ में देर |
 भूला भटका शाम का, आये तनिक सवेर |
 
 आये तनिक सवेर, घोर चिंता चप्पल की |
होय सर्जरी हर्ट, हास्य की देकर झलकी |
जाए अन्दर जूझ, गया "दर्शन" समझा के |
है पूरा विश्वास, पहनना चप्पल आके ||

आलता 
 लगा आलता पैर में, बना महावर लाख |
मार आलथी पालथी, सेंके आशिक आँख |
सेंके आशिक आँख, पाख पूरा यह बीता |
शादी की यह भीड़, पाय ना सका सुबीता |
बिगड़े हैं  हालात, प्रिये पद-चाप सालता |
आओ फिर चुपचाप, तनिक दूँ लगा आलता ||


4 comments:

  1. आलता
    लगा आलता पैर में, बना महावर लाख |
    मार आलथी पालथी, सेंके आशिक आँख |
    सेंके आशिक आँख, पाख पूरा यह बीता |
    शादी की यह भीड़, पाय ना सका सुबीता |
    बिगड़े हैं हालात, प्रिये पद-चाप सालता |
    आओ फिर चुपचाप, तनिक दूँ लगा आलता ||

    क्या बात है दोस्त ,लक्षणा का ज़वाब नहीं .बढ़िया आलता लगाने की कोशिश है .पेशकश है .

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  2. सच्चाई पर करारी चोट | बहुत सुन्दर

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