विद्यार्थी
विद्यार्थी गुणवान है, घालमेल में सिद्ध ।
व्यवहारिक विज्ञान पर, नजर जमी ज्यों गिद्ध ।
नजर जमी ज्यों गिद्ध, चिट्ठियाँ लिखना आता ।
लेन-देन में निपुण, ढंग से है धमकाता ।
साम दाम सह दंड, जानता परम स्वार्थी ।
रहा सीखना भेद, सीख लेगा विद्यार्थी ।।
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हवाई नेता
मिटे आम के जटिल कष्ट, हुआ आम संतुष्ट ।
आज ख़ास कोशिश करें, किन्तु होंय खुद पुष्ट ।
किन्तु होंय खुद पुष्ट, बने हैं गांधी वादी ।
कृपलानी के शिष्य, ताकिये है आजादी ।
पवन हंस पर बैठ, आज के गांधी आवें ।
कोड़ खेत मैदान, काट के पेड़ सतावें ।।
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उल्टा-पुल्टा
उल्टा-पुल्टा है शुरू, मौत साल दर साल । जीवन को दफना चुकी, खूब बजावे गाल । खूब बजावे गाल, धूप में दाल गलावे । समय-पौध जंजाल, माल-मदिरा उपजावे । रविकर कैसी लाश, मामला समझे सुल्टा । पट्टा को दुहराय, मौत को ढोती उल्टा ।। |
होरिहार सरकार की, महिमा गाई खूब । हाथी शेर-सियार बक, रंग-भंग में डूब । रंग-भंग में डूब, डुबाते भारत प्यारा ।
जनता जाये ऊब, उबारे कौन दुबारा ।
यहाँ भ्रमर का दर्द, हदें हर एक पार की ।
उड़े व्यवस्था उधर, होरिहार सरकार की ।।
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सही है....
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ReplyDeleteहोरिहार सरकार की, महिमा गाई खूब ।
हाथी शेर-सियार बक, रंग-भंग में डूब ।
waah waah
सभी टिप्पणियाँ!
ReplyDeleteबहुत सार्थक है!
अच्छा टिपियाया है आपने!
बढ़िया है.......
ReplyDeleteसादर
अनु
होरिहार सरकार की, महिमा गाई खूब ।
ReplyDeleteहाथी शेर-सियार बक, रंग-भंग में डूब ।
रंग-भंग में डूब, डुबाते भारत प्यारा ।
जनता जाये ऊब, उबारे कौन दुबारा ।
यहाँ भ्रमर का दर्द, हदें हर एक पार की ।
उड़े व्यवस्था उधर, होरिहार सरकार की ।।
बहुत खूब लिखा है
सभी दोहे समसामयिक हैं पर अब यह सूरत बदल जाये तभी कोई बात बने ,सार्थक पोस्ट|
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