Monday 18 November 2013

शीला का दुःख देखिये, शहजादे का क्रोध-

प्यासी बहनें जा रहीं, रुकने का अनुरोध |
शीला का दुःख देखिये, शहजादे का क्रोध |

शहजादे का क्रोध, मन:स्थित समझ करीबी |
करते रहते शोध, किन्तु नहिं ख़तम गरीबी |

रविकर देखें बोय, खेत में सत्यानाशी |
बढ़िया पैदावार, बहन पर भूखी-प्यासी ||


भाषण सुनकर जाइये, पूरी करिये साध |
एक घरी आधी घरी, आधी की भी आध |

आधी की भी आध, विराजे हैं शहजादे |
करिये वाद-विवाद, किन्तु सुनिये ये वादे |

शीला कहे पुकार, जानती यद्यपि कारण |
जाने को सरकार, फर्क डाले क्या भाषण || 

3 comments:


  1. भाषण सुनकर जाइये, पूरी करिये साध |
    एक घरी आधी घरी, आधी की भी आध |

    आधी की भी आध, विराजे हैं शहजादे |
    करिये वाद-विवाद, किन्तु सुनिये ये वादे |

    शीला कहे पुकार, जानती यद्यपि कारण |
    जाने को सरकार, फर्क डाले क्या भाषण ||

    सुन्दर विवेचन .वोटर कितना समझदार ,चुनाव से पहले दिखा दिया आइना ,बुद्धिमंद को .

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  2. वाह..बहुत खूब ! यहाँ सब वादे ही तो करते हैं...

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  3. वाह जी वाह ... मस्त है ...

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